गुरुवार, 6 अगस्त 2009

(8)मेरा आकाश ... !


रच रही हूं अपने ही हाथों अपना आकाश ...
सुंदर , सलोना,
आकांक्षाओं के सतरंगी इन्द्र - धनुष को ,
अपनी असीम अनंतता में समेटे ,
मेरे स्वप्नों के लिए नित नए क्षितिज रचता ,
मेरा अपना आकाश ... !

4 टिप्‍पणियां:

Desk Of Kunwar Aayesnteen @ Spirtuality ने कहा…

ब्लोगिंग के दुनिया में स्वागत है, आपको अपना आकाश मुबारक हो..बेहतरीन...

Unknown ने कहा…

In this beautiful sky, you will find all yourcolors of dream....
BEST OF LUCK

Chandan Kumar Jha ने कहा…

भावों की निर्मल अभिव्यक्ति......सचमुच बहुत ही विस्तृत और अनन्त भावनाओ को समेटे हुये है.......यह......आकाश. आभार.

बेनामी ने कहा…

ब्लॉगजगत में हार्दिक अभिनन्दन है आपका.......आपके इस आकाश में सदैव उम्मीद का सूरज जगमगाता रहे......यही शुभकामनायें हैं....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

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