बुधवार, 12 अगस्त 2009

(13) संवेदना ... !


मुखर संवेदना
और
मौन अभिव्यक्ति के बीच
खड़ी हूं
चुपचाप
निःशब्द ,
हाथों में लिए असीम स्नेह
अनंत भावनाएँ ... ,
सूझ नही रही प्रेषण की कोई भाषा ... ,
मिल नही रहा कोई शब्द - सेतु ... ,
फिर भी
मन है आश्वस्त ,
है अटूट विश्वास ,
कि
बिना किसी शब्द के भी
प्रेषित हो रहा है
वो सब कुछ
तुम तक ... ,
जो कहना है मुझे ,
तुमसे ... !

4 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

बिना किसी शब्द के भी
प्रेषित हो रहा है
वो सब कुछ
तुम तक ... ,
जो कहना है मुझे ,
तुमसे ... !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, वाकई मौन से ज्यादा संप्रेषणीय और सशक्त माध्यम कोई नही है.
मैने भी कहा है
I can hear the sounds
With your singing dart.
Silence is the best speaker
Hear the sound by heart.

Chandan Kumar Jha ने कहा…

यह रचना भी बहुत सुन्दर लगी......उत्कृष्ट.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

BIN KAHE HI SABKUCH KAH JAATA HAI MAN KABHI KABHI.....SHABD KO SETU KI JAROORAT NAHI HOTI..... BAHOOT KI LAJAWAAB RACHNA...

vijay kumar sappatti ने कहा…

yes ... this is that poem , i was searching in your blog ..

pratima .. this is most amazing work of words blended with pure emotions ..

main pahle bhi padhkar nishabd ho gaya tha .. ab bhi hoon ..

antim pankhtiya to jaisse speachless kar deti hai ..


badhai nahi doonga ji ..

salaam aapki lekhni ko is kavita ke liye ..

vijay

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