गुरुवार, 13 अगस्त 2009

(14) एक दोस्त के लिए ... !


मेरे दोस्त
याद है न ... ,
तुमने दिया था
मेरी सोच को विस्तार ,
मेरे भावों को आकार ,
जगाया था विश्वास
स्नेह संबंधों पर ,
हृदय के अनुबंधों पर ,
थामा था मेरी डूबती उम्मीद का हाथ
और
जगाई थी आसकिरण
मेरे अंधेरों में ,
याद है न ... ,
तुमने ही दी थी मुझे
मेरी कल्पना ,
मेरी कल्पना को रंग ,
मेरे रंगों को इन्द्र - धनुष ,
मेरे इन्द्र - धनुष को आकाश
और
मेरे आकाश को चमकीला अनंत क्षितिज ,
याद है न
इतना कुछ दिया था तुमने मुझे ,
आज मैं भी तुम्हे कुछ देना चाहती हूं ,
मुट्ठी भर रंग ,
पलक भर स्वप्न ,
अंजुरी भर उम्मीद
और
एक असीम आकाश , संभावनों का ,
जिस पर तुम फिर से भर सको
नई उड़ान ,
फिर से सजा सको रंग ,
अपनी कल्पनाओं के ,
ढूढ़ सको फिर से वो सारे सपने ,
जो वक्त की गर्दिश में कहीं गुम से गए है ... !
( अपनी प्यारी दोस्त कल्पना के लिए , जिसका आज जन्मदिन है ...)

5 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

BAHOOT HI SHASHAKT ABHIVYAKTI HAI...... SHABDON KO PANKHON KI UDAAN DE KAR AASMAAN TAK PAHUNCHAADYA HAI AAPNE DIL KE JAJBAATON KO.....JANM DIN MUBAARAK HO AAPKE DOST KO....

M VERMA ने कहा…

मुट्ठी भर रंग ,
पलक भर स्वप्न ,
अंजुरी भर उम्मीद
===
कितने स्नेहिल है ये शब्द,
खूबसूरत रचना

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत रचना....बहुत सुन्दर.

Unknown ने कहा…

Pratimaji,ishwar apki dost ko lambi umar de.
Wo kitni khushnaseeb hai ki ap jaisi dost mili. itne sundar bhav-samarpan ke liye badhai............

keep writing !!!!!!!!!!!!!!

निर्मला कपिला ने कहा…

आज मैं भी तुम्हे कुछ देना चाहती हूं ,
मुट्ठी भर रंग ,
पलक भर स्वप्न ,
अंजुरी भर उम्मीद
और
एक असीम आकाश , संभावनों का ,
जिस पर तुम फिर से भर सको
नई उड़ान ,
बहुत सुन्दर और कल्पना जी को जन्म दिन की बधाई

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