उन आँखों में था ,सामने इमारत से उठ रहे धुएं का काला साया ,
जो कल उनकी पहचान थी ,
या यूं कहे ,
कल तक वो थे पहचान ,
उस शानदार बुलंद इमारत के...,
वो नही जानते थे कि क्या हुआ
मगर
था उन्हें भी अंदाज़ , कि हो गया है कुछ ऐसा
जो नही होना चाहिए था ...,
पिछली शाम जहा झूम रही थी जिंदगी ,
आज वही गूँज रहे थे गोलियों के धमाके ,
बुरे ख्वाब जैसे एक हादसे ने
छीन लिया था सारे शहर के साथ
उनका भी सुकून ...,
और
वो
फडफडा कर अपने पंख ,
उड़ते फिर रहे थे ,
हवाओं में इधर से उधर ,
दर्ज करते हुए इस हादसे के ख़िलाफ़
अपना विरोध ... !
शर्मिंदा था सारा मुल्क ,
और शर्मिंदा थे वो मासूम परिंदे ,
वो नन्हे शान्ति दूत भी ,
कि उनके सामने होते हुए भी लग गई ये आग ,
वो भी कायम नही रख सके
अमन अपने शहर का ... !
(गेटवे ऑफ़ इंडिया की पहचान "अमन के दूत " कबूतरों के नाम ......)
प्रतिमा