शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

मकसद


कितनी
छोटी -छोटी ख्वाहिशें,
छोटे - छोटे सपनें ,
मुट्ठी में भरे ,
जी रही हूं मैं
इन दिनों ,
बहुत खुशी से ... ,
तुमसे मिल लेना ,
तुम्हें देख लेना ,
बातें कर लेना तुम्हारी ,
बस इतना ही ... ,
और
जैसे मिल जाती है ज़िन्दगी
आज के लिए ,
मिल जाता है मकसद
कल के लिए !!!!!!!!
"मैं '' प्रतिमा

3 टिप्‍पणियां:

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना । बधाई ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

YE CHOTI CHOTI KHWAHISHEN HI TO JEENE KO PRERIT KARTI HAIN .... BAHOOT HI LAJAWAAB SOCH SE LIKHI RACHNA HAI ....

M VERMA ने कहा…

कल के लिये मकसद मिलना --
बहुत खूब

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