
कितनी
छोटी -छोटी ख्वाहिशें,
छोटे - छोटे सपनें ,
मुट्ठी में भरे ,
जी रही हूं मैं
इन दिनों ,
बहुत खुशी से ... ,
तुमसे मिल लेना ,
तुम्हें देख लेना ,
बातें कर लेना तुम्हारी ,
बस इतना ही ... ,
और
जैसे मिल जाती है ज़िन्दगी
आज के लिए ,
मिल जाता है मकसद
कल के लिए !!!!!!!!
"मैं '' प्रतिमा
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना । बधाई ।
YE CHOTI CHOTI KHWAHISHEN HI TO JEENE KO PRERIT KARTI HAIN .... BAHOOT HI LAJAWAAB SOCH SE LIKHI RACHNA HAI ....
कल के लिये मकसद मिलना --
बहुत खूब
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