साल भर की मेहनत के बाद नतीजे निकलने का मौसम है । कहीं ख़ुशी - कहीं ग़म का आलम है । देश के सारे बोर्ड्स ने दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए हैं । चूंकि ये मेरी कार्य सूची में शामिल है , मैं पिछले एक सप्ताह से सीबीएसई परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र - छात्राओं का इंटरव्यू ले रही हूँ । काम तो अपनी जगह है ही , मगर उससे जुड़ा एक अलग ही एहसास है सफलता की खुशी से दमकते उन चेहरों को देखना , उनकी बातें सुनना और उनकी आँखों में जगमगा रहे सुनहले सपनों को उनके साथ बांटना...... और उससे भी बढ़ कर सुखद अनुभूति है इस सफलता की ऊंचाइयों पर अपना परचम बुलंद करने वाली बच्चियों से मिलना । अपने स्कूल और विषयों में टॉप करने वाली इन विजेता लड़कियों से मिलना, देश और समाज के आगामी उज्ज्वल भविष्य से मिलने जैसा है । बहुत करीब से देखती हूँ मैं , इनकी आँखों में अपने भविष्य और स्वप्नों को ले कर कोई संशय नहीं है , न ही मन कोई खौफ़ है किसी से हार जाने या पिछड़ जाने का। खुद पर इतना अटल विश्वास की पर्वत भी हैरान हो जाये , अपने लक्ष्य के प्रति ऐसा समर्पण की किसी किन्तु - परन्तु की कोई गुंजाइश ही नहीं । दिल - दिमाग एक क्षण के लिए भी अपने मार्ग से विचलित न हो , इरादों में ऐसी दृढ़ता ... । ऐसी बेटियों से मिलने और उनसे बात करने को मैं अपनी उपलब्धि मानती हूँ । हर साल परीक्षा परिणामों के घोषित होने के साथ ही अख़बारों में छा जातीं है सुर्खियाँ एक बार फिर बेटियों के बाज़ी मारने की । इस बार भी वही जाना -पहचाना नज़ारा है । मैं मन ही मन गद - गद हूँ , लेकिन हमेशा की तरह है मन में एक संशय भी , कि इन बेटियों को अपने सपनों का आकाश छूने के जिस मजबूत सीढ़ी की ज़रुरत होगी , क्या हम वो उन्हें दे पाएंगे ? कहीं ये सुनहले सपने बीच राह में ही हार तो नहीं मन बैठेंगे । क्या हम अपनी बेटियों का हाथ थाम कर उन्हें उनकी मनचाही मंजिल तक पहुंचाने में उनके सच्चे साथी बनेगे ? अगर आपका जवाब हाँ में है तो आपको बहुत - बहुत बधाइयां ... !
माटी में बीज सा ख़ुद को बोना, बरखा सा ख़ुद ही बरसना, फिर उगना ख़ुद ही जंगली फूल सा. कांटना-छांटना-तराशना-गढ़ना ख़ुद को आसान नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करनी होती है ख़ुद तक पहुँचने के लिए. धार के विपरीत बहना पड़ता है थकान से भरी देह उठाये तय करना पड़ता है रास्ता बिलकुल अकेले. दूसरों पर जय पाने से पहले ख़ुद को जय करना (जीतना) होता है...तब बनता है कोई "स्वयंसिद्ध" !!
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1 टिप्पणी:
sundar aalekh ke liye badhai.nishit roop se betiyon ka vaqt aa chuka hai.
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