सोमवार, 16 नवंबर 2009

सचिन तुस्सी सचमुच ग्रेट हो !


मन खुश गया । एक तसल्ली और सुकून से ज़ेहन भर गया । सचिन ,आपका शुक्रिया कि आपने जात , प्रान्त और भाषा की छोटी - संकुचित सरहदें तोड़ते हुए पूरी सच्चाई , ईमानदारी और बेबाकी से अपनी बात कहने का साहस दिखाया । आपकी महान छवि को यही शोभा भी देता है । शायद आपकी यही भावना और हमारा आप पर यही विश्वास है जिसने आपको विश्व खेल जगत में भारतीय गौरव और अस्मिता का पर्याय बना दिया है । खेल के मैदान में जब आप "इंडिया" लिखी हुई अपनी टी शर्ट पहन कर खेलने उतरते हैं तो जैसे सिर्फ़ आप ही नही , आपके साथ पूरा भारत विरोधी टीम के खिलाफ खेल रहा होता है क्योंकि आप किसी एक प्रान्त या भाषा के लिए नही बल्कि पूरे देश के सम्मान के लिए खेलते हैं । आपके एक - एक रन पर सिर्फ़ किसी एक प्रदेश के नही भारत भर के लोग झूम उठते हैं । आपका हर रिकार्ड किसी एक भाषा या प्रान्त तो छोडिये केवल आपका भी नही होता , वो हम सब भारतवासियों का सांझा होता है । ऐसे में अगर आप भी यही कहते कि " मैं भारतीय नही सिर्फ़ मराठी माणुस हूँ " तो सच जानिए न केवल हम सब का दिल बहुत दुखता बल्कि हमारा आपसे विश्वास भी डिग जाता । लेकिन आपने ऐसा नही किया । एक सच्चे इन्सान और भारतीय होने के नाते आपने अपने देश के प्रति अपनी आस्था , आदर और समर्पण व्यक्त किया और भारतीय संविधान की मर्यादा और महानता को स्वीकार करते हुए यह भी माना कि मुंबई हर भारतीय की है । यही सच भी है सचिन , सिर्फ़ मुंबई ही नही , बल्कि भारत का एक -एक अंश , भारत के एक -एक नागरिक का साँझा है और ये अधिकार स्वयं भारत के सर्वोच्च संविधान द्वारा प्रदत्त है । किसी को भी इस अधिकार के अतिक्रमण या उल्लंघन की शक्ति नही दी गई है । जो ऐसा कर रहे हैं वो किसी व्यक्ति के नही भारतीय संविधान के दोषी हैं । संकट की इस घड़ी में आपका, तुच्छ मानसिकता से बहुत ऊपर उठ कर ,अपनी बात कहने का ये अंदाज़ ये साबित करता है कि आप भारत लिखी हुई टी शर्ट पहनने और भारतीय अस्मिता की नुमाइंदगी करने के सच्चे हक़दार हैं और जो आपकी इस सच्चाई को नज़र अंदाज़ करते हुए , आपके नाम को गन्दी राजनीति के दलदल में खींचने में जुटे हैं उनके लिए फिलहाल बस इतनी ही प्रार्थना - "ऐ खुदा इन्हें कभी माफ़ मत करना , क्योंकि ये अनजान नही। ये अच्छी तरह जानते हैं कि ये क्या कर रहे हैं । ये किसी के भी सगे नही । धर्म - जाति- भाषा - प्रान्त - सम्प्रदाय के नाम पर राजनीति कर के वोट बटोरना ही इनका धंधा है और ये अपना धंधा चमकाने के लिए किसी भी हद तक जाने से नही चूकने वाले । तू , बस हमें सही और ग़लत समझने की तौफीक दे और इतनी हिम्मत भी कि हम ग़लत को ग़लत कहने का साहस कर सके । "
प्रतिमा

5 टिप्‍पणियां:

Chandan Kumar Jha ने कहा…

सच में सचिन तुस्सी ग्रेट हो!!!!!!!!! बहुत बढ़िया पोस्ट दीदी ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SACHIN DA JAWAAB NAHI ....

शरद कोकास ने कहा…

जो सेलेब्रेटीज़ होते है उन्हे हर बयान बहुत सोचसमझ कर ही देना होता है क्योंकि इससे कई लोगो का मत प्रभावित होता है ।

बेनामी ने कहा…

सचिन एक अच्छे खिलाड़ी होने के साथ एक अच्छे इंसान भी हैं, इसमें कोई शक ही नहीं.......

साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......Humsafar Yaadon Ka

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

शरद कोकसजी ने सही कहा है. सचिन का बयान और उस पर विवाद दो अलग अलग चीजे हैं। आपका मत आपके जिन विचारों को प्रकट करता है वैसे ही अन्यों के अपने मत और अपने विचार होते हैं। हम तर्कों का सहारा लेते हैं और अपनी बात मनवाने का यत्न करते हैं। सचिन ने जो कहा अपनी जगह सही हो सकता है, किंतु मेरा मत है कि जिस उद्देश्य से उनसे प्रश्न पूछा गया था वो निपट राजनीतिक लहजा था, और जब भी एसे प्रश्नों के जवाब एक गैर राजनीतिक व्यक्ति के मुख से फूटते हैं तो वो गलत ही है। लिहाज़ा मैं सचिन के पक्ष में नहीं हूं।

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