मैं सचमुच तहेदिल से माफ़ी मांगना चाहती हूं कि मैं हिन्दी बोलती हूं , हिन्दी लिखती हूं , शायद हिन्दी में ही सोचती भी हूं . मैं हिन्दी प्रदेश में पैदा हुई हूं , मेरे माता - पिता हिन्दी भाषी हैं ।अब तक नहीं थी लेकिन अब मैं सचमुच इस बात से शर्मिंदा हूं और भयभीत भी ... । पता नही क्या हो , कब मुझे हिन्दी बोलने के लिए दण्डित कर दिया जाय, नहीं जानती । मुंबई बहुतेरे लोगों कि तरह मेरी भी स्वप्न नगरी है मगर अब अपनी इस स्वप्न नगरी में जाने का ख्याल मुझे डरा रहा है क्योंकि मैं अपराधी हूं । मैं हिन्दी भाषी हूं।
माटी में बीज सा ख़ुद को बोना, बरखा सा ख़ुद ही बरसना, फिर उगना ख़ुद ही जंगली फूल सा. कांटना-छांटना-तराशना-गढ़ना ख़ुद को आसान नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करनी होती है ख़ुद तक पहुँचने के लिए. धार के विपरीत बहना पड़ता है थकान से भरी देह उठाये तय करना पड़ता है रास्ता बिलकुल अकेले. दूसरों पर जय पाने से पहले ख़ुद को जय करना (जीतना) होता है...तब बनता है कोई "स्वयंसिद्ध" !!
बुधवार, 11 नवंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अवसाद के भय से जूझता मध्यमवर्ग !
शायद आपको पता हो कि भारतीय समाज में पाया जाता है एक 'मध्यमवर्गीय तबका'। उच्च वर्ग की तरह कई पीढ़ियों के जीवनयापन की चिंताओं से मुक...
-
जाने क्यों आज रोने को जी चाह रहा है , जाने क्यों भरी चली जा रहीं हैं पलकें, सुधियों की भीड़ से , जाने क्यों हर बात आज जैसे छू रही है मन ,...
-
मुद्दतों बाद मिली थी उससे... वो भी इस शिद्दत को महसूस कर रहा था शायद....दौड़ पड़ा मेरी ओर दीवानों की तरह ..... लम्हा भर को मैं झिझ...
-
आज पंद्रह अगस्त है.हमारे देश का स्वतंत्रता दिवस . समूचा भारत अपने इस महान राष्ट्रीय पर्व के उल्लास - उमंग में डूबा है हालांकि आज़ादी का अ...
1 टिप्पणी:
JO KUCH BHI MAHARAASHTRA MEIN HUVA VO SHARM KI BAAT HAI .. PAR HUM SAB HINDI VAASIYON KO AUR PRAYAAS TEZ KAR DENA CHAAHIYE KI SAB HINDI MEIN HI BAAT KAREN KHAS KAR JAB MAHARAASHTRA MEIN HON ...
एक टिप्पणी भेजें