Mera Akash...
kitna sundar..., manmohak..., yaha se waha tak sirf aur sirf mera... !
I still can't believe that I have created my own blog finally and now I'm able to express my feelings & emotions with the whole world. I must be thankful to internet.
Kitna Kuch hai mere paas, kahne ko, batane ko,
Dhire-Dhire batoungi & I hope aap sabko bhi mera akash mei mere saath parwaz Bharna Achchha Lagega.Saat Rang batungi aap sabke saath...
mera aaj ka din sachmuch bahut achchha raha... .
Good Day...
meet you again...
माटी में बीज सा ख़ुद को बोना, बरखा सा ख़ुद ही बरसना, फिर उगना ख़ुद ही जंगली फूल सा. कांटना-छांटना-तराशना-गढ़ना ख़ुद को आसान नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करनी होती है ख़ुद तक पहुँचने के लिए. धार के विपरीत बहना पड़ता है थकान से भरी देह उठाये तय करना पड़ता है रास्ता बिलकुल अकेले. दूसरों पर जय पाने से पहले ख़ुद को जय करना (जीतना) होता है...तब बनता है कोई "स्वयंसिद्ध" !!
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