जी हाँ ! एक लम्बे अरसे बाद ये पोस्ट सिर्फ इस सनद के लिए .... कि मैं ज़िंदा हूँ अभी. एक बेहद थकाऊ और व्यस्त दिनचर्या से भरा पिछला लगभग एक महीना गुज़रने को है . मुझे खुद से भी मिलने की फुर्सत नहीं मिली . इस दौरान किसी भी ज़रिये अपने लोगों से न जुड पाने का अफ़सोस भी साथ लगा रहा . हांलाकि जो दिल के बहुत करीब हैं वो खुद अपनी कोशिशों से आस- पास बने रहे . लेकिन जिन तक पहुँचने के रास्ते भी मुझे ही बनाने होते हैं वो कुछ पीछे छूट गए से महसूस हुए . इस बीच बहुत कुछ गुज़रा . सच कहूं तो अच्छा कम ........., बुरा ज़्यादा ! मेरे प्यारे शहर को एक बार फिर दहशतगर्दों ने चोट पहुंचाई .कुछ बहुत ख़ास एहसास मन में उठे और बिना कोई आकार लिए धुंधला गए . मेरी व्यस्तता के चलते बहुत सारी चीज़ें आगे के लिए मुल्तवी हो गयीं , जिन्हें मैं अभी ही करना चाहती थी. अब कुछ खाली हुई हूँ तो पता चला कि नेट महोदय ने भी नववर्ष के स्वागत के उत्साह में छुट्टी ले रखी है उफ़ ये रोना ........ और इससे बढ़ कर इस बात का रोना कि गया वक्त लौट कर नहीं आता तो बीते को बिसरा कर आगे देखना ही समझदारी है. सो इस वक्त किसी और की मेहरबानी से नेट पर बैठी मै उम्मीद लगाए हूँ कि ये लंबा अंतराल जल्द ही भर सकूंगी मै. .... और हाँ एक बार फिर ये सनद कि .........मैं ज़िंदा हूँ अभी ! बस थोड़ी खामोशी है जिसने घेर लिया है मुझे , उम्मीद है ये भी टूट जायेगी जल्दी ही ... इंशा अल्लाह !!!!!!! .
माटी में बीज सा ख़ुद को बोना, बरखा सा ख़ुद ही बरसना, फिर उगना ख़ुद ही जंगली फूल सा. कांटना-छांटना-तराशना-गढ़ना ख़ुद को आसान नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करनी होती है ख़ुद तक पहुँचने के लिए. धार के विपरीत बहना पड़ता है थकान से भरी देह उठाये तय करना पड़ता है रास्ता बिलकुल अकेले. दूसरों पर जय पाने से पहले ख़ुद को जय करना (जीतना) होता है...तब बनता है कोई "स्वयंसिद्ध" !!
शनिवार, 11 दिसंबर 2010
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2 टिप्पणियां:
bahut din baad aapki post padkar aanand aa gaya .ab jaldi jaldi likhyega .best of luck .
bilkul paidal chalti huyi zindagi bade hi saral bhav se apni dili bat kahti ........saumy saral vyavhar ki pratima ji .koti koti naman aapko ,vandematram
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