कहते हैं, वक्त गुज़र जाता है, यादें रह जाती हैं. वो रह ही नहीं जातीं , बल्कि मन के एक कोने में हमेशा-हमेशा के लिये अपना घर भी बना लेती हैं.याद बुरी हो तो ज़िन्दगी भर की तकलीफ़ बन कर रह जाती है और अच्छी हो तो तकलीफ़ में मरहम बन कर सुकून देती है,लेकिन याद रहती ज़रूर है.मेरे ज़ेहन में भी अनगिनत यादों का अम्बार है. अच्छी भी , कुछ बुरी भी... ! लेकिन कुछ यादें हैं जो इन दोनों परिभाषाओं से अलग..., अपना वजूद बनाये हुए हैं. वो यादें, जो मुझे ज़िन्दा रखती हैं ,मुझे मेरे जीने का मकसद और मायने देती हैं, तमाम परेशानियों में भी मुझमें ये यकीन जगाये रखती हैं कि ये दुनिया बेहद अच्छी है, जीने-देखने-महसूस करने के काबिल है और ऐसा मुझे शिद्दत से महसूस होता है, जब मैं कुदरत के करीब होती हूँ. बीती जुलाई में उत्तर भारत भ्रमण के दौरान कुदरत के करीब होने का मौका मिला तो इन यादों का खज़ाना कुछ और भर गया. सोचा था, लौट कर हर एक क्षण को ब्लोग में ज़रूर सहेज लूँगी लेकिन ऐसा कर न सकी.मगर आज फिर मन में ये ख्याल एक अधूरी ख्वाहिश सा कौंधा तो सोचा,क्यों न उन यादों के रंग में रंगी तस्वीरों को ही बाँट लूँ अपनों के साथ... और इसी बहाने मैं भी जी लूँ , फिर से वो सारे पल ................!
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मैं... मनाली में.... |
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वशिष्ठ मंदिर - मनाली |
हुस्न पहाडों का...
क्या कहना , कि बारहों महीने....
यहाँ मौसम जाडों का... !
ख्वाब जैसा सच... , सचमुच !!
ये हसीं वादियाँ......
ये खुला आसमाँ.....
यकीं नहीं होता , हम हैं वाकई यहाँ...
मनाली में व्यास नदी के किनारे...