मैं एक लड़की ...!
मुठ्ठी में भींचे कुछ उम्मीदें ,
पलकों में छुपाए चाँद सपनें ,
देखती हूँ ,हर रोज़ ,
आसमान की ओर ....,
सोचती हूँ ,क्या छू सकूंगी कभी
अपना आसमान ......?
मैं एक लड़की ......!
मुस्कान में कुछ दर्द तोलती ,
आंसुओं में थोड़ी आशा घोलती ,
देखती हूँ हर रोज़
चाँद की ओर ....,
सोचती हूँ ,क्या पा सकूंगी कभी
अपना चाँद .....?
मैं एक लड़की .....!
क्या कभी बदल सकूंगी हकीकत में अपने सारे ख्वाब ...?
मैं एक लड़की ...!!!
सोचती हूँ .....,सोचती जाती हूँ ...,
कि
तभी ,
पलकों से आंसू की एक बूँद
गिरती है मेरी हथेली पर
और
जैसे बोल पड़ती है मुस्कुरा करके ,
उदास मत हो ,मत हो निराश ,
वो दिन आयेगा ज़रूर ,
जब तुम अपने पंख पसार छुओगी
आसमान
और कहेंगे सब ---
" देखो अपने ख्वाबों को सच कर दिखला रही है ...,
अपने हिस्से के चाँद - सितारे - आसमान पा रही है ...,
वो एक लड़की !!!!!!!!!!!!
9 टिप्पणियां:
खूबसूरत प्रस्तुति हसरतों की ।
देखो अपने ख्वाबों को सच कर दिखला रही है ...,
अपने हिस्से के चाँद - सितारे - आसमान पा रही है ...,
वो एक लड़की !!!!!!!!!!!!
हसरतें हो .. तो अवश्य पूरी होती हैं !!
इतना आशावाद होना ही चाहिये ।
ek achchhi rachna padhne ko mili
बहुत सुन्दर। मुझे आशावादी रचनाएं छू लेती हैं।
very good ,, keep it up ..
bahut sundar... sach!...dil ko choo gai..
बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
अत्यंत सुन्दर रचना ,,एक खूबसूरत अंत के साथ ....शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है ...शायद सफ़र कुछ आसान हो ,,,!!!! इस रचना के लिए बधाई आपको
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