विश्वास के साथ मजेदार शब्द का प्रयोग कुछ अटपटा लग सकता है , लेकिन इसके अलावा कोई और शब्द सूझा भी नहीं , सो लिखना पड़ा । मेघ देवता को मनाने के लिए शहर में इन दिनों मेढक - मेढकी की शादीकराई जा रही है । पता नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिवा कही और ये विश्वास है कि नहीं , लेकिन हमारे यहाँ तो इस रिवाज़ के साथ पूरा विश्वास जुड़ा है। अगर समय होने पर भी इंद्र देव मेहरबान न हों तो इस शादी वाले टोटके के बाद वो ज़रूर पिघलतें है , ऐसी मान्यता है । बड़ी मज़ेदार होती है ये शादी , वो भी पूरे विधि - विधान के साथ......, पंडित जी मंत्रोच्चार करते हैं, दुल्हन सिन्दूर धारण करती है , दूल्हा - दुल्हन पवित्र अग्नि के फेरे लेते हैं , फिर नवयुगल के सुखद जीवन की कामना की जाती है । इतना सब करने के पीछे विश्वास होता है कि जब ये नव - विवाहित जोड़ा श्रंगार रस में डूब कर नृत्य करके मेघों का आह्वान करेगा तो घनघोर बारिश होगी । इस टोटके के लिए असली मेढक - मेढकी ढूंढें जाते हैं और ये न होने की स्थिति में प्लास्टिक के जोड़े से भी काम चलाया जा सकता है , बस नीयत साफ़ होनी चाहिए । है न एक मज़ेदार विश्वास । अब इस विश्वास का आधार क्या है , ये परखने का काम अपने - अपने विवेक पर छोड़ दिया गया है और एक बात बताऊँ ? कल बनारस में कई जोड़ों की शादी हुई और आज सुबह से ही तपते मौसम में कुछ राहत सी महसूस हो रही है । सुबह हलकी बारिश भी हुई । अब आप इसे चाहे जो कह लें । विश्वास है तो है ... और वो कहते है न विश्वास पर दुनिया कायम है !!!!!!!
माटी में बीज सा ख़ुद को बोना, बरखा सा ख़ुद ही बरसना, फिर उगना ख़ुद ही जंगली फूल सा. कांटना-छांटना-तराशना-गढ़ना ख़ुद को आसान नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करनी होती है ख़ुद तक पहुँचने के लिए. धार के विपरीत बहना पड़ता है थकान से भरी देह उठाये तय करना पड़ता है रास्ता बिलकुल अकेले. दूसरों पर जय पाने से पहले ख़ुद को जय करना (जीतना) होता है...तब बनता है कोई "स्वयंसिद्ध" !!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अवसाद के भय से जूझता मध्यमवर्ग !
शायद आपको पता हो कि भारतीय समाज में पाया जाता है एक 'मध्यमवर्गीय तबका'। उच्च वर्ग की तरह कई पीढ़ियों के जीवनयापन की चिंताओं से मुक...
-
जाने क्यों आज रोने को जी चाह रहा है , जाने क्यों भरी चली जा रहीं हैं पलकें, सुधियों की भीड़ से , जाने क्यों हर बात आज जैसे छू रही है मन ,...
-
"WORLD BOOK DAY" आज दिल से एक बात से स्वीकार करना चाहती हूँ। मैं वैसी हूँ जैसा 'मुझे किताबों ने बना दिया है।' ...
-
चुप भी रहूं तो आँखें बोलती हैं , न जाने कितने पोशीदा राज़ खोलती हैं , दिल का हाल चेहरे पर लाती हैं और दुनियां भर को बताती हैं , यूं तो मैं प...
2 टिप्पणियां:
सच कहा: विश्वास पर दुनिया कायम है !!!
ab aise andh vishvas band hone chahiye aur isme ham logon ko ek zimmedar rukh apnana chahiye. (chahiye) shabd mere shabdkosh mein nahi hai, fir bhi iska upayog is jagah khas taur par kar rahi hoon.
एक टिप्पणी भेजें