सोमवार, 2 मई 2011

एक सुखद स्मृति...!

समय बीत जाता है लेकिन ये स्मृतियाँ ही होती हैं जो बीत चुके समय को हमारे बीच बनाये रखती हैं .बाईस से छब्बीस अप्रैल भी बीत गया . हर वर्ष अप्रैल शुरू होते इन पांच रातों के जागरण को लेकर मन में चिंता घर कर जाती है.एक अबोला सा तनाव ...कैसे होगा जागरण...कैसे निपटाए जायेंगे रोज़मर्रा के पहले से  तयशुदा काम.... रात भर जागने के बाद कैसे होगा अगले दिन का सुचारू संचालन, वो भी लगातार पांच दिन ...! लेकिन हर बार अपनी इन सारी (कु) शंकाओं पर हंस देती हूँ जब सारा वक्त जल के सहज प्रवाह सा व्यतीत हो जाता है...सुगमता-सकुशलता के साथ...!सचमुच जाने कहाँ चली जाती है सारी थकान, नींद की अनुभूति इस कार्यक्रम में !
कहीं और पांच तो क्या एक रात भी जागना हो तो हालत बुरी हो जाती है लेकिन यहाँ पांच रातें भी ऐसे गुज़रती हैं मानों कुछ भी अनियमित न हुआ हो... इसे ही हम संकटमोचन का चमत्कार और प्रताप मानते हैं.
पिछले आठ सालों से इस भव्य आयोजन का हिस्सा हूँ . मगर इस दफ़ा मेरे DIGI CAM ने मेरे (और मेरे अपनों के ) लिए ढेर सारी स्मृतियाँ फोटो की शक्ल में भी संजो लीं . कई रोज़ से इसे आपके साथ बांटने की सोच रही थी ...आज कर ही डाला ये काम....



ओडिसी की सिद्धहस्त कलाकार डोना गांगुली से मिलना हमेशा ही सुखद होता है.   मैंने बनारस में उनके कई कार्यक्रम में संचालन किया है   और हर बार उनके अहंकार रहित मधुर व्यवहार,विनम्र-सौम्य-आत्मीय व्यक्तित्व से प्रभावित   हुई   हूँ.

कहते हैं संगीत की अथाह समझ रखने वाले ऐसे श्रोता काशी के अलावा कहीं और मिलने मुश्किल हैं.

संगीत-सरिता में तन-मन-भाव से डूबते-उतराते लोग...

पहले दिन कथक प्रस्तुत करती कोरियाई मूल की भारतीय संस्कारों को स्वीकर चुकी काशी की कलाकार सुश्री किम जिम यांग.

ओडिसी प्रस्तुत करती डोना गांगुली और साथी कलाकार

ओडिसी प्रस्तुत करती डोना गांगुली और साथी कलाकार

ग्रीन रूम में प्रस्तुति से पूर्व पं० अजय पोहनकर और श्री अभिजीत पोहनकर

मंच पर श्री अभिजीत पोहनकर

मंच पर पं० अजय पोहनकर

ग्रीन रूम में श्री अभिजीत बैनर्जी (तबला) और पं० भवानी शंकर (पखावज) के साथ

श्री अभिजीत बैनर्जी (तबला) और पं० भवानी शंकर (पखावज) प्रसन्न मुद्रा में

ग्रीन रूम में ओडिसी डांसर सुश्री रीला होता

मंच पर पं० तरुण भट्टाचार्य संतूर वादन करते हुए

कार्यक्रम प्रस्तुति से पूर्व पं० सतीश व्यास (संतूर) के साथ श्री अभिजीत बैनर्जी (तबला) और पं० भवानी शंकर (पखावज)

सुविख्यात ओडिसी डांसर श्रीमती सुजाता महापात्रा (बीच में) के साथ हम....
संगीत-आनंद में डूबे भक्त श्रोताजन

ग्रीन रूम में पद्मभूषण पं० छन्नूलाल मिश्र

मंच पर पं० प्रतीक चौधरी सितार वादन करते हुए

मंच पर पद्मभूषण पं० छन्नूलाल मिश्र

ग्रीन रूम में श्री राहुल शर्मा (संतूर)

प्रस्तुति से पूर्व पं० कुमार बोस (तबला) पं० धर्मनाथ मिश्र और पं० देवज्योति बोस (सरोद) आत्मीय मुद्रा में
संगीत का आनंद लेते पं० भीमसेन जोशी के शिष्य पं० संजीव जागीरदार

ग्रीन रूम में सबके साथ पद्मभूषण पं० राजन मिश्र

मंच पर पं० हरीश तिवारी
मंच पर दिव्य मूर्ति से विराजमान पं० राजन-साजन मिश्र,
यकीन मानिये ये तरोताज़ा से दिखने वाले चेहरे पाँच रातों के जागे हुए हैं लेकिन संगीत का अलौकिक आकर्षण ऐसा कि पलक झपकने को ही नही तैयार...नींद को कुछ देर और इंतज़ार करने के लिये कह कर इस क्षण तो बस संगीत का रस पीना है. अंतिम निशा बीतने के पश्चात सुबह पं० राजन-साजन मिश्र को सुनते लोग.....!
मंच पर पद्मभूषण पं० राजन-साजन मिश्र, पं० कुमार बोस और सबका आह्वान और अभिनन्दन करती मैं...!


सागर के चन्द मोती से ये बस कुछ पल हैं जिन्हें मैं समेट पाई...कितना कुछ बस अनुभूतियों का ही अंश है जिन्हें बाँट पाना संभव नहीं. उद्घोषणा के दायित्व निर्वहन के साथ सब कुछ समेट-बटोर पाना नहीं हो पाया लेकिन जितना भी है निश्चित रूप से मेरे लिये अनमोल है.

4 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही अच्छी स्मृतियों को संजोया है आपने.बहुत ही अच्छी लगी यह पोस्ट.

सादर

Kalpana ने कहा…

कई दिनों से बहुत ही बेसब्री से इस पोस्ट का इन्तज़ार कर रही थी और जब ये मिली तो बस एक ही साँस मे पूरा पढ़ गयी...और फिर एक बार नहीं, दो बार नहीं पूरे तीन बार पढ़ने के बाद कुछ सुकून मिला...शुरु से अन्त तक हर एक शब्द, हर एक फोटो अन्तर में कहीं गहरे उतरती चली गयी कुछ इस तरह कि मैं खुद वहाँ उस भव्य आयोजन का एक हिस्सा बन गई...इन खूबसूरत और भव्य पलों को हमारे साथ साँझा करने के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही अच्छी लगी यह पोस्ट

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.

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